पूजा में तांबे के बर्तन ही क्यों?
पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग क्यों किया जाता है, इससे संबंधित कथा का वर्णन वराहपुराण में मिलता है। हिंदू धर्म में भगवान की पूजा से संबंधित अनेक नियम बताए गए हैं। उनमें से एक नियम ये भी है कि पूजा के पात्र यानी बर्तन तांबे के होने चाहिए। विद्वानों का मत है कि तांबे से बने बर्तन पूरी तरह से शुद्ध होते हैं, क्योंकि इसे बनाने में किसी अन्य धातु का उपयोग नहीं किया जाता। इसलिए तांबे के बर्तनों का उपयोग पूजा में करना श्रेष्ठ होता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग क्यों किया जाता है, इससे संबंधित कथा का वर्णन वराहपुराण में मिलता है। ये कथा इस प्रकार है… ये है पूरी कथा वराह पुराण के अनुसार, पहले किसी समय में गुडाकेश नाम का एक राक्षस था। राक्षस होने के बाद भी वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। उसने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए और उस राक्षस से वरदान मांगने को कहा। गुडाकेश ने भगवान विष्णु से कहा कि- आपके चक्र से मेरी मृत्यु हो और मेरा पूरा शरीर तांबे के रूप में प