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पूजा में तांबे के बर्तन ही क्यों?

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पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग क्यों किया जाता है, इससे संबंधित कथा का वर्णन वराहपुराण में मिलता है।  हिंदू धर्म में भगवान की पूजा से संबंधित अनेक नियम बताए गए हैं। उनमें से एक नियम ये भी है कि पूजा के पात्र यानी बर्तन तांबे के होने चाहिए। विद्वानों का मत है कि तांबे से बने बर्तन पूरी तरह से शुद्ध होते हैं, क्योंकि इसे बनाने में किसी अन्य धातु का उपयोग नहीं किया जाता।  इसलिए तांबे के बर्तनों का उपयोग पूजा में करना श्रेष्ठ होता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग क्यों किया जाता है, इससे संबंधित कथा का वर्णन वराहपुराण में मिलता है। ये कथा इस प्रकार है… ये है पूरी कथा वराह पुराण के अनुसार, पहले किसी समय में गुडाकेश नाम का एक राक्षस था। राक्षस होने के बाद भी वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। उसने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए और उस राक्षस से वरदान मांगने को कहा। गुडाकेश ने भगवान विष्णु से कहा कि- आपके चक्र से मेरी मृत्यु हो और मेरा पूरा शरीर तांबे के रूप में प

जानिए तिथि के विषय में

तिथि पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तिथि के निर्धारण से ही व्रत और त्यौहारों का आयोजन होता है. कई बार हम देखते हैं की कुछ त्यौहार या व्रत दो दिन मनाने पड़ जाते हैं. ऎसे में इनका मुख्य कारण तिथि के कम या ज्यादा होने के कारण देखा जा सकता है. तिथि का निर्धारण सूर्योदय से होता है. यदि एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच में तीन तिथियाँ आ जाएँ तो उसमें एक तिथि क्षय हो जाती है। हिन्दू सनातन धर्म में तिथियों का बहुत महत्व है इन तिथियों का प्रत्येक व्रत व त्यौहार के साथ साथ व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव होता है. एक माह में पहली 15 तिथियां कृष्ण पक्ष और बाकी की 15 शुक्ल पक्ष की होती हैं. कृष्ण पक्ष की 15(30)वीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है. शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि को चन्द्रमा पूर्ण होता है, इसलिए इस तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है. अमावस्या समय चंद्रमा और सूर्य एक ही भोगांश पर होते हैं. तिथि क्यों घटती-बढ़ती है तिथि का पता सूर्य और चंद्रमा की गति से होता है. ज्योतिष शास्त्र में तिथि वृद्धि और तिथि क्षय की बात कही गई है. सूर्य और चन्द्रमा एक साथ एक ही अंश पर होना अमावस्या का समय होता है और चंद